नई दिल्ली: वाराणसी में आयोजित दीप दीपावली महोत्सव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंच से दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों को भी संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जो किसान सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं वो गलतफहमी का शिकार हैं उनका बरगलाया गया है। यदि किसान बिल की बारीकियों को समझा जाए तो ये सब उनके फायदे के लिए ही किया गया है। मगर विपक्षियों ने किसानों को बरगला दिया है उनको गलत चीजें बताई गई है और बिल की अच्छाईयों को पूरी तरह से छिपा लिया गया है।
मुझे ऐहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। लेकिन अब छल से नहीं गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक राज्य में तो वहां की सरकार, अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते आज भी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं लेने दे रही है। देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद दी जा रही है। अब तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपए किसानों तक पहुंच भी चुका है। प्रधानमंत्री वाराणसी के खंडूरी गांव में वाराणसी-प्रयागराज 6-लेन हाइवे का लोकार्पण करने के लिए पहुंचे थे।
उन्होंने कहा कि नए कृषि सुधारों से किसानों को नए विकल्प मिले हैं, लेकिन विपक्ष के साथ मिलकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब से बीजेपी की सरकार आई है उसके बाद से ही सुधारों की दिशा में काम किया जा रहा है। इससे पहले की जो सरकारें थीं वो किसानों के साथ छल करती आई हैं सुधारों की दिशा में एक भी काम नहीं किया गया। नया कानून किसानों को विकल्प देने वाला है।
#WATCH PM Modi addresses at an event in Varanasi https://t.co/oDh6xONC6W
— ANI (@ANI) November 30, 2020
पीएम मोदी ने कहा कि आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है। जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं, तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने लगते हैं।
उन्होंने कहा कि बीजेपी की सरकार आम लोगों के हित को ध्यान में रखते हुए कानून-कायदे बनाती हैं मगर कुछ लोगों को वो कानून भी खराब लग रहे हैं।
विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से अलग ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। पहले सरकार का एक फैसला नहीं पसंद आता था तो विरोध होता था मगर अब भ्रम फैलाया जा रहा है। इसके नतीजे अच्छे नहीं होंगे। पीएम मोदी ने कहा कि एतिहासिक कृषि सुधार को लेकर यही खेल खेला जा रहा है। ये वही लोग हैं जिन्होंने किसानों के साथ छल किया। एमएसपी होता था मगर खरीद कम होती थी। किसानों के साथ छल होता था किसानों के नाम बड़े बड़े कर्ज माफी होती थी मगर उनको कभी इसका लाभ नहीं मिलता था। कहावत भी थी कि सरकार एक रूपया सहायता भेजती है तो नीचे तक मात्र पच्चीस पैसे ही पहुंच पाते हैं।
उन्होंने पूछा कि क्या किसान की इस बड़े बाजार और ज्यादा दाम तक पहुंच नहीं होनी चाहिए? अगर कोई पुराने सिस्टम से ही लेनदेन ही ठीक समझता है तो उस पर भी कहां रोक लगाई गई है? पहले मंडी के बाहर हुए लेनदेन ही गैरकानूनी थे। ऐसे में छोटे किसानों के साथ धोखा होता था, कई प्रकार का विवाद हुआ करते थे। अब छोटा किसान भी, मंडी से बाहर हुए हर सौदे को लेकर कानूनी कार्रवाई कर सकता है। क्या ये चीजें गलत हैं।