पटना: राज्यसभा चुनाव में महागठबंधन को लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख चिराग पासवान से उम्मीद थी कि वे माया से मुक्त होकर उधर से इधर आएंगे। विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में अपनी उपेक्षा और फजीहत का बदला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से लेंगे। इसी रणनीति के तहत राष्ट्रीय जनता दल ने रामविलास पासवान के निधन से खाली हुई राज्यसभा की सीट पर उनकी पत्नी रीना पासवान (Reena Paswan) को प्रत्याशी बनाने का प्रस्ताव चिराग को दिया था। किंतु चिराग ने प्रतिपक्ष की राजनीति करने से साफ इनकार कर दिया। तब आरजेडी को भी पांव खींचने में ही भलाई नजर आई। स्पीकर के चुनाव के अंजाम से सबक लेते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने अगले सप्ताह झारखंड हाईकोर्ट में लालू प्रसाद यादव की जमानत (Bail) याचिका पर सुनवाई से पहले किसी विवाद में पड़ने से परहेज करना ही बेहतर समझा है। पार्टी ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी सुशील मोदी का निर्विरोध निर्वाचन तय माना जा रहा है।
दरअसल, अपने वोट बैैंक का ख्याल करते हुए आरजेडी इस चुनाव को खुद नहीं लड़कर एलेजपी को लड़ाना चाहता था। आरजेडी की चाल दलित मुद्दे को उछालकर सत्ता पक्ष को परेशान करना था। किंतु महागठबंधन के प्रस्ताव पर चार दिनों तक विचार और तेजस्वी को इंतजार कराने के बाद चिराग पासवान ने आखिरकार इनकार कर दिया।
एलजेपी के इस रवैये से महागठबंधन की उस उम्मीद को झटका लगा है, जिसके सहारे वह एनडीए को एक और बड़ी चुनौती देने की कोशिश में था। विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से महागठबंधन की तुलना में राजग आगे है। राजग के पास कुल 126 विधायकों का समर्थन है, जबकि महागठबंधन के पास 110 विधायक हैैं। स्पीकर चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के पांच विधायकों ने भी राजद के प्रत्याशी को समर्थन दिया था। पूरे विपक्ष के एकजुट होने के बाद भी राजद जरूरी संख्या तक नहीं पहुंचता दिख रहा था। ऐसे में जीत की गारंटी तो नहीं थी, उल्टे फजीहत बढ़ जाती। स्पीकर चुनाव में बीजेपी विधायक से आरजेडी प्रमुख की बातचीत का ऑडियो वायरल हो जाने के बाद आरजेडी की किरकिरी भी हुई थी और लालू प्रसाद की मुश्किलों में इजाफा भी हो गया था।